Wednesday, October 7, 2015

ये तरबूज़ किसका होगा, अंदर से हिन्दू और बाहर से मुसलमान हैं।


मालूम नही किसने लिखा है, पर क्या खूब लिखा है..
नफरतों का असर देखो,
जानवरों का बटंवारा हो गया,
गाय हिन्दू हो गयी ;
और सुवर  मुसलमान हो गया.
मंदिरो मे हिंदू देखे, 
मस्जिदो में मुसलमान,
शाम को जब मयखाने गया ;
तब जाकर दिखे इन्सान.
ये पेड़ ये पत्ते ये शाखें भी परेशान हो जाएं
अगर परिंदे भी हिन्दू और मुस्लमान हो जाएं
सूखे मेवे भी ये देख कर हैरान हो गए
न जाने कब नारियल हिन्दू और 
खजूर मुसलमान हो गए..
न मस्जिद को जानते हैं , न शिवालों को जानते हैं
जो भूखे पेट होते हैं, वो सिर्फ निवालों को जानते हैं.
अंदाज ज़माने को खलता है.
की मेरा चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है......
मैं अमन पसंद हूँ , मेरे शहर में दंगा रहने दो...
लाल और हरे में मत बांटो, मेरी छत पर तिरंगा रहने दो....
जिस तरह से धर्म मजहब के नाम पे हम रंगों को भी बांटते जा रहे है
कि हरा मुस्लिम का है
और लाल हिन्दू का रंग है
तो वो दिन दूर नही
जब सारी की सारी हरी सब्ज़ियाँ मुस्लिमों की हों जाएँगी
और
हिंदुओं के हिस्से बस टमाटर,गाजर और चुकुन्दर ही आएंगे!
अब ये समझ नहीं आ रहा कि ये तरबूज 🍉 किसके हिस्से में आएगा ?
ये तो बेचारा ऊपर से मुस्लमान और अंदर से हिंदू ही रह जायेगा... 😳

Wednesday, September 30, 2015

नेताओं और धर्म के ठेकेदारों का बहिस्कार करना चाहिए तभी समाज में खुशहाली फैलेगी। धर्मेन्द्र मौर्य

नमस्कार बंधुवर। ..
इंसान बनने के लिए ना हिन्दू ना मुस्लिम ना सिक्ख ना ही ईसाई या ना  किसी धर्म जाति की आवश्यकता होती हैं जो परम शक्ति हैं जो इस संसार को चला रहीं हैं अभी उस  तक  कोई पहुंच नहीं पाया हैं। सभी अपने अपने रूप पूजते हैं इस लिए कोई धर्म किसी के ऊपर थोपा नहीं जा सकता हैं।  जहाँ तक हमें लगता हैं कि जाति धर्म एक एक इंसान अलग नामों से पुकारा जा सके यानि कोई भी हमें अध्यन कर सकें। जाति धर्म का सदुपयोग ना कर के दुरूपयोग किया जा रहा हैं।  नेता और धर्म के ठेकेदार अपनी प्रभुता अपनी ताकत समाज के ऊपर सिद्ध करने के लिए जाति धर्म को हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं।  आज की स्थिति देखिये तो लगता हैं कि वो केवल अपनी फायदा देखते हैं उन्हें किसी के जान माल से कोई मतलब नहीं। हम लोग देखते आ रहें हैं की ये लोग कभी प्रांतवाद पर , कभी धर्म के नाम पर , कभी जातिवाद पर हमें लड़ते आ रहें हैं , और हम अंधे भेड़ की तरह उन्ही के पीछे लगे हुए हैं। आखिर कब हमें होश आएगा। बरसों हम लोग अलग अलग जाति धर्म के लोग एक साथ रहते हैं और एक दूसरे के सुख दुःख में सम्लित होते हैं पर अचानक कहीं नेता या धर्म के ठेकेदार के बातों में आ कर अपनों में दुश्मनी पैदा कर लेते हैं पर ये नहीं सोचते की अगर हम बीमार पड़ेंगें तो नेता या धर्म के ठेकेदार नहीं आएंगे मदद करने के लिए। आस पास के लोग ही काम आयेंगें। इसलिए हमें नेताओं और धर्म के ठेकेदारों का बहिस्कार करना चाहिए तभी समाज में खुशहाली फैलेगी।
धर्मेन्द्र मौर्य
मितवा परिवार 


Tuesday, September 22, 2015

शायरी के लफ्ज़ ऐसे होने चाहिए कि जो दिल में सरगम बज उठें - अजमेर अंसारी"कशिश"

१- 
मेरे   हसीन   चेहरे   की   ताबीर आप हैं !
शीशे में है जो दिल के वो तस्वीर आप हैं !

एक-एक  शेर आपकी  तारीफ़  है सनम !

जो है किताबे-दिल पे वो तहरीर आप है !

जादू चला के प्यार का बेबस किया मुझे !

बांधा है जिसने मुझको वो जंज़ीर आप है !

तारीकियों   में  डूबी   हमारी  हयात को !

रौशन किया है जिसने वो तनवीर आप हैं !

मरने  के  बाद  याद   करेगा  हमें  जहां !

रांझा  अगरचे  मैं हूँ  सनम  हीर आप हैं !

नज़रें मिला के आप से महसूस ये हुआ !

उतरे जो दिल के पास वही तीर आप हैं !

पढ़ने के बाद आपको सोचा किया"कशिश"

ग़ालिब तो मैं नहीं हूँ  मगर हीर आप हैं !

  २-

    


मैं  तेरे  इश्क़  में  मुब्तिला  भी नहीं !

और दिल है के तुझसे ज़ुदा भी नहीं !

दिल से दिल मिल गये हैं मेरे-आपके !

दरमियाँ अब कोई  फासला भी नहीं !

ये अदा  ख़ूब है  तोड़ कर  दिल मेरा !

कह रहा  है सनम  बे-वफ़ा  भी नहीं !

तेरी  यादें  भुलाने  को  पी  लेते हम !

इस शहर में कोई  मयक़दा भी नहीं !

चैन  कैसे  मिले  वक़्त  की भीड़ में !

तेरी ज़ुल्फ़ों की  ठंडी  हवा भी नहीं !

सबसे महफ़िल में हंस-हंस के मिलता है वो !

मेरी ज़ानिब  कभी  देखता  भी नहीं !

उसको   इमदाद   लेने   से  इन्कार  है !

जिसका कोई"कशिश"आसरा भी नहीं !

            अजमेर अंसारी"कशिश"

Saturday, September 19, 2015

मेरे लिए स्वस्थ संगीत सर्वोपरि हैं -आकाश मिश्रा


२०१२ में "नहले पे दहला " शो का विन्नर बनने वाले एवं अपने आवाज़ से मंत्र मुग्ध कर देने वाले दिलकश आवाज़ के धनी आकाश मिश्रा जल्द ले के आ रहें हैं भक्ति एल्बम " झुलनवा झुलेली मईया मोर "  , ये एल्बम "पवन म्यूजिक" प्रस्तुत कर रहा हैं।  जिसके निर्माता शुभम पाठक एवं अमित जी  हैं।  हाल में ही इसकी रिकॉर्डिंग बनारस में कराइ गयी हैं।  उन्हों ने बताया आज जो भी हमें पहचान मिली हैं वो संगीत से ही मिली हैं।  और साथ ही ये भी कहना चाहते हैं की लोग हमे अच्छे गानों के लिए पहचानते हैं। यू टूब पर लगभग हमारा वीडियो लगभग २५ लाख लोगों ने देखा हैं।  हम उन लोगो से अक्सर कहा करते हैं भोजपुरी में अच्छे गाने नहीं चलते, वो हमारा गाना देख ले कितना चला हैं।  हम सभी से कहना चाहते हैं की भोजपुरी को अश्लीलता के नाम पे मत बेचें।  भाषा तो एक माध्यम होती हैं अपनी भावनाओ को व्यक्त करने के लिए।  और मेरे लिए स्वस्थ संगीत ही सर्वोपरि हैं।  
न्यूज़ - अरविन्द मौर्य 

Thursday, September 10, 2015

अब तो सच में लोग पुलिस वाला समझने लगे हैं - अमित शुक्ला


बिहार के बेतिया जिले के मिस्कार टोला के रहने वाले अमित शुक्ला अधिकतर हर फिल्मों में पुलिस का रोल निभाएं हैं। जैसे की रावण, शूट एट  वडाला, सत्या पार्ट -२ , स्पेशल २६,  अटैक २६/११, किक जैसी फ़िल्में की हैं तथा टी वी  पर सावधान इंडिया, पुलिस फाइल के बहुत सरे एपिसोड किये जिनमे अधिकतर पुलिस का किरदार रहा हैं। जिससे लोग सच में पुलिस वाला समझने लगें हैं।  पर फ़िल्मी पुलिस हैं। 
 फ़िल्मी चकाचौंध में लगता हैं सब कुछ सहज होता हैं पर ऐसा नहीं होता हैं।  ऐसी चकाचौध में मुंबई पहुंचे। फिर वहां उन्होंने रात में वॉचमन का काम किये और दिन में थिएटर करते रहे। परिश्रम  और लगन से वो आज बॉलीवुड जो मुकाम बनाया हैं वहां पहुचना हर इंसान को पहचान नामुमकिन हैं।  
                               न्यूज़ - अरविन्द मौर्य 

Wednesday, September 9, 2015

बच्चों को जीने का गुण सीखा रही हैं चबूतरा थिएटर पाठशाला।

लखनऊ।  "हम हैं नवाब" नाटक अपनी हास्य व्यंग्य से दर्शकों को लखनवी अंदाज़ से रूबरू कराया।  मदर सेवा संस्थान द्वारा संचालित चबूतरा थिएटर पाठशाला रविदास पार्क नेहरू नगर, डालीगंज में शिक्षक दिवस पर दो नाटकों का प्रतुतियाँ दी। इस अवसर पर बच्चों ने अपने चबूतरा थिएटर पाठशाला के शिक्षकों महेश चन्द्र देवा, सुरेश कुमार सुदर्शन, लक्ष्मी गुप्ता, ऋचा आर्य, अपूर्व आनंद, अखिलेश कुमार, मंजीत राज़, दानेश पाल सिंह   को सम्मानित कर आशीर्वाद लिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में शहर के प्रसिद्द ब्यँग्यकार पंकज प्रसून कार्यक्रम का उद्घाटन किये।  चबूतरा थिएटर पाठशाला का १४ वर्षीय बाल नाटककार  मो0 अमन अपने द्वारा लिखित एवं निर्देशित नाटक "हम हैं नबाब" की प्रस्तुति की जिसमें नबाब के किरदार में मो0 अमन मो० आरिफ  और सचिन ने अदा किया तथा इनके बेगमों का किरदार स्वाति, निधि व वैशाली ने निभाया। तथा नौकर एवं कांस्टेबल  में हर्ष गौतम निभाया। वहीँ दूसरी प्रस्तुति महेश चन्द्र देवा लिखित एवं निर्देशित "पहल करें" थी जिसमें रिया, दिया, सोनिया आकाश प्रिन्सी, नैनसी, शेखर, ने बखूबी अभिनय  किया।  इसके आलावा नृत्य प्रस्तुति नैनसी, माही, स्वाति, ज्योति, श्लोक, प्रिया, शेखर, आकाश, तनु, करिश्मा  ने किया।  अंत में शिक्षकों एवं अतिथियों द्वारा सभी बच्चों को पुस्तक वितरण किया गया।    

Tuesday, September 8, 2015

कर्म से बड़ा कुछ भी नहीं हैं इस धरा पर - राकेश मिश्रा

कहावत है, होनहार बिरवान के,होत चीकने पात ! ये कहावत उस कलाकार पर सटीक बैठती है, जिसने मात्र ५ वर्ष की उम्र मे गांव की रामलीला के रंगमंच पर अभिनय पारी की शुरूवात करके  अब तक ५० से ज्यादा टीवी सीरियल एवं ८ फिल्मों में अभिनय कर लिया है.  उ.प्र. के जौनपुर जिला  स्थित ग्राम/पोस्ट- ऊंचडीह में ब्राह्मण परिवार में जन्मे राकेश मिश्रा बचपन से ही मेधावी थे. १९८९ मे  भारतीय विज्ञान  एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद द्वारा संचालित "विज्ञान विधि" कार्यक्रम मे तत्कालीन राज्यपाल  मुहम्मद उस्मान आरिफ के हाथों पुरस्कार प्राप्त किया था, लेकिन  अभिनय का शौक उन्हें मुम्बई खींच लाया. प्रस्तुत है उनके साथ हुई बात चीत के अंश..
राकेश जी आप तो मेधावी छात्र रहे हैं. गांव में इण्टर मीडिएट कालेज में अध्यापन कार्य भी किये, तो अचानक आपका रूख अभिनय की तरफ कैसै हो गया ?
बहुत अच्छा सवाल किया है आपनें. मैं कला के अघ्यापक के रूप में कालेज में पढा रहा था. शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से मेरी नयुक्ति होने वाली थी. इसी बीच  मुझे लगा कि अब अगर  मैं नौकरी में फंस गया, तो  सारी जिन्दगी छात्रों को पढाता रह जाऊंगा.  मेरे सपनों का क्या होगा. मै ऊपर उठ कर नाम कमाना चाहता था. पर मेरे पिताजी नहीं चाहते थे कि मैं बाहर जाऊं.  एक हप्ते में मुम्बई से वापस लौट आने का बहाना बना कर मैं मायानगरी में आ गया.  यहां की परिस्थितियों से अवगत हो मैनै अपने आप को आर्थिक रूप से मजबूत करने के साथ-साथ अभिनय के क्षेत्र में संघर्ष जारी रखा. यहां मुम्बई में मुझे आजाद मैदान (वीटी) , विक्रोली पार्कसाइट और आरएनपी पार्क भायंदर की रामलीला में अभिनय करने का अवसर प्राप्त हुआ, जिसमें भरत के अभिनय के लिए मुझे सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार प्राप्त हुआ.
 आपको पहला ब्रेक कैसै मिला ?
दर असल मेरी समझ में आ गया था यह आसान नहीं है इसलिए मैने अपनी दिशा बदल दी थी. एक दिन मैं कांदीवली के मयूर सिनेमा के सामने से गुजर रहा था. मेरी निगाह वहां पर जमा हुई भीड पर पडी, देखा तो वहां शूटिंग चल रही थी. वहां हीरो- हिरोइन खडे थे, जिन्हे देखकर मैं उनसे मिलने चला गया. हीरो से काफी देर तक बातचीत किया, तो हम दोनों दोस्त बन गये.  उन्होने मुझे अगली भोजपुरी फिल्म "त्रिनेत्र" में  पहला ब्रेक दिया. जिसमें मैने दहेज लोभी पति  की भूमिका निभाई. जिसमें  मेरे अभिनय की तारीफ हुई. यह मेरे फ़िल्मी कैरियर का पहला ब्रेक रहा.
 इसके बाद आपका कैरियर कैसे आगे बढा ?
त्रिनेत्र के बाद अपने मित्रों के सहयोग से मै फिल्म निर्माता बन बैठा. जिसमें मुझे नुकसान उठाना पडा. इसके बाद मैने काफी सोच समझ कर अभिनय के छेत्र में ही आगे बढने का फैसला किया और अनवरत उसी पथ पर अग्रसर हूं.
 सुना है आज-कल आप टीवी सीरियल में काफी व्यस्त हैं .  फिल्मों से टीवी सीरियल की तरफ आपका झुकाव कैसे हुआ ?
बिल्कुल सही सुना है आपने. आज की तरीख में टीवी सबसे ज्यादा लोकप्रिय और घर-घर मे उपलब्ध मनोरंजन का सबसे बडा साधन है.  टीवी शो में किये गये काम जल्दी ही दर्शकों के सामने होता है. जबकि फिल्मों मे किये गये काम फिल्म की रिलीज के बाद ही देखने को मिलते है.  एक दिन मेरे एक मित्र ने बताया कि एक प्रोडक्सन हाउस मे धार्मिक सीरियल "संकट मोचन हनुमान" का निर्माण हो रहा है. ट्राई करो, आप उसके लिए फिट हो. आफिस में जाकर मिल लो.  मैं वहां गया, तो कास्टिंग वालों ने पहले मुझे नकार दिया.  फिर थोडी बात-चीत के बाद मेरी कास्टिंग कर दी. मैने एग्रीमेन्ट साइन कर दिया और शूटिंग के लिए रवाना हो गये. उस समय  बडी उत्सुकता थी टीवी सीरियल में काम करने की.  वहां जाकर मैने सीता स्वंयवर में महाराजा जनक के उद्घोषक  की भूमिका निभाया एवं पूरे सीरियल मे ६ अलग-अलग किरदार निभाये. यहीं से  शुरू हो गया  टीवी स्क्रीन पर अभिनय का सिलसिला, जो अनवरत जारी है.
 राकेश जी आज के दौर की फिल्मों एवं टीवी सीरियल के बारे में आपके क्या विचार हैं ?
देखिये समय के साथ सब कुछ बदल जाता है और वही हो रहा है. जीवन चक्र चल रहा है जो आज ऊपर है कल नीचे जायेगा, जो नीचे है वो ऊपर आयेगा.  यही प्रकृति का नियम है. भारतीय सिनेमा में आज कल पश्चिमी  सभ्यता हाबी है.  नग्नता, फूहडता हिंसा को बढ़ा-चढ़ा कर  पेश करना फिल्मकारों की आदत बन गयी है.  एक समय था जब भारतीय फिल्मकार सामाजिक फिल्मों का निर्माण कर समाज को सुधारने का कार्य करते थे.  संगीतकार कर्णप्रिय संगीत दिया करते थे. जबकि  आज के संगीत में होर हल्ला के अलावा कुछ नहीं होता.
 अब आप अपनी आनेवाली फिल्मों और टीवी सीरियल के बारे बताइए जिनमें आप काम कर रहे हैं ?
मैने अब तक हिन्दी , भोजपुरी एवं पंजाबी फिल्मों में काम किया है,  जिनमें त्रिनेत्र (निर्माता: प्रतिमा डी मिश्रा, निर्देशक: शाद कुमार) , एक लैला तीन छैला (निर्माता:मुकेश सोनी, निर्देशक: शाद कुमार ),ठोंक देब  (निर्माता: बब्लू सिंह, निर्देशक: अजय गुप्ता), देलही टू लाहौर (निर्माता: विजय खेपर ), हिन्दी फिल्म: मेनु एक लडकी चाहिए (निर्देशक:अभिशेखधारीवाल) आदि हैं. मेरी आने वाली फिल्में हैं,  भइल तोहरा से प्यार, आई लव यूं  (निर्माता:धर्मेन्द्र मौर्य, निर्देशक: शाद कुमार), पटना से पाकिस्तान (निर्माता:अनन्जय,  लेखक,निर्देशक:सन्तोष मिश्रा) इसके अलावा प्रसारित हो रहे टीवी सीरियल : हम हैं ना (सोनी टीवी) में चौबे जी की भूमिका कर रहा हूं.  ये शादी है या सौदा (डी डी १) में डॉक्टर पट्टू का रोल निभा रहा हूं.  इसके अलावां डोली अरमानों की ( जी टीवी), ये रिस्ता क्या कहलाता है (स्टार प्लस), सावधान इण्डिया  (लाइफ ओके), अजब गजब घर जमाई (बिग मैजिक), सिंहासन बतीसी (सोनीपल), सड्डा हक (बिग मैजिक), दिया और बाती(स्टार प्लस), बालिका बधू (स्टार प्लस), साथिया (स्टार प्लस), महाराणा प्रताप (सोनी टीवी), जोधा अकबर (जी टीवी),देवों के देव महादेव (लाइफ ओके),अदालत (सोनी टीवी) में अभिनय कर रहा हूं.
राकेश जी  आपको राज्यपाल के हाथों जो पुरस्कार मिल चुका है, उस पर प्रकाश डालें  ?
यह बात उन दिनों की है जब मैं ९वीं में पढता था उसी समय रेडियो पर "विज्ञान विधि" धारावाहिक  आता था,  जिसमें सामान्य ज्ञान  और विज्ञान  की ही चर्चा होती थी. मैने प्रसारित हो रही कडियों का नोट बना लिया.  कार्यक्रम की अन्तिम कडी में प्रतियोगिता का आयोजन हुआ.  मैंने उसमें भाग लिया. कुछ दिनों बाद डाक विभाग के पोस्टमैन से "भारत सरकार सेवार्थ" का स्टैम्प लगा एक लिफाफा प्राप्त हुआ, जिसमें भारतीय विज्ञान  एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद(सचिवालय) न्यू महरौली मार्ग नई दिल्ली की तरफ से मुझे १३ नवम्बर १९८९ को लखनऊं के गन्ना संस्थान में राज्यपाल मुहम्मद उस्मान आरिफ के हाथों पुरस्कार प्राप्त करने के लिए आमन्त्रित किया गया था. यह मेरे प्रारम्भिक दौर की सबसे बड़ी कामयाबी रही.
 आज के दौर के फिल्म एवं टीवी निर्माताओं से आप क्या कहना चाहेंगे ?
 मै सबसे पहले उनका आभार ब्यक्त करता हूं कि हमारे दर्शकों के लिए इतना अच्छा कार्यक्रम बनाते हैं. सबका मनोरंजन करते हैं. कितनों का घर चलाते हैं.  उनसे निवेदन करता हूं  साफ सुथरी सामाजिक फिल्में बनायें. बिगडती हुई सामाजिक ब्यवस्था को अपने फिल्मों के माध्यम से सन्देश देकर लोगों को जागृत करें.  सेक्स और हिंसा  का प्रदर्शन फिल्मों मे न दिखायें, तो बेहतर रहेगा.
राकेशजी अपनें दर्शकों के लिए आप क्या कहना चाहेंगे ?
दर्शक भगवान के रूप हैं. जब तक उनकी कृपा  कलाकारों पर नहीं होती,  तब तक कोई भी कलाकार नाम  नहीं कमा सकता. हम अपने  दर्शकों से विनती करते हैं कि सदैव मुझ पर अपना आशिर्वाद बनाये रखें. हम उनके मनोरंजन के लिए फिल्मों एवं विभिन्न चैनलों पर सदैव उपस्थित होते रहेंगे.
सूना है कि आप लेखक और कवि भी हैं, इस बारे में कुछ बताना चाहेंगे ?
सही बात है.  मैने बहुत सारी कविताएं लिखी हैं.  भजन लिखे हैं.  फिल्मों के लिए गीत लिखे हैं.  फिल्मों की स्क्रिप्ट भी लिखता हूं.  मेरी लेखनी रिश्तों, समस्याओं एवं सामाजिक मुद्दों पर केन्द्रित होती है.  मेरी लिखी हुई फिल्मों में भरपूर मनोरंजन के साथ -साथ प्रेरक संदेश भी होते है, जो सीधे दर्शकों के दिल को छूते हैं.  मेरी कविताओं में भी संदेश होता है लेकिन व्यावसायिक व्यस्तता के कारण कवि सम्मेलनों में भाग नहीं ले पाता.
 सूटिंग के दौरान की कोई घटना या कोई रोचक प्रसंग बताना चाहेंगे ?
 हां-हां क्यों नहीं...मैं एक पंजाबी फिल्म कर रहा था       " डेलही टू लाहौर" उसमें दीपक शिर्के (गैण्डा स्वामी, फिल्म:तिरंगा फेम) काम कर रहे थे. मुझे उन्हीं के साथ एक्टिंग करनी थी. उनको अपने साथ देख कर मुझे बडा अच्छा लग रहा था. उन्होने एक पिस्तौल ले रखी थी. जब मैनै उनकी पिस्तौल अपने हाथों में उठाया, हॉथ से फिसल कर जमीन पर गिर गयी,  क्यों, कि मैं उसे हल्का समझ कर उठा रहा था जबकि वो बहुत भारी थी. उसके गिरते ही मई दर कर काँप उठा, लेकिन भगवान का शुक्र है कि कोई अनहोनी नहीं हुई. इसके अलावा दिनेश लाल यादव (निरहुआ) के साथ  भोजपुरी फिल्म  पटना से पाकिस्तान में काम करके बडा मजा आया.  दिनेश जी कमाल के एक्टर हैं. साथ ही बहुत  सहयोगी व संस्कारिक हैं.  इस फिल्म में मशहूर लेखक सन्तोष मिश्रा ने कमाल का निर्देशन किया है.  इसके अलावा टीवी सीरियल गुस्ताख दिल में "गोपाल" की भूमिका करने में बडा आनन्द आया. डीडी १ पर प्रसारित हो रहे कॉमेडी शो घण्टेश्वर प्रसाद घंण्टेवाले में "छर्रा" का रोल निभाने में बहुत खुशी हुई.
 फिल्मों में टेक्नेशियन और साथी कलाकारों के साथ आपका कैसा अनुभव रहा ?
बहुत ही अच्छा.  मुझे फिल्म में लाने का श्रेय मेरे मित्र धर्मेश मिश्रा एवं फिल्म निर्देशक शाद कुमार जी को जाता है, जिन्होंने मुझे पहला ब्रेक भोजपुरी फिल्म "त्रिनेत्र" में दिया.  इसके बाद प्रोडक्सन मैनैजर अजय सिंह "अज्जू" के सहयोग से मुझे कई फिल्में मिलीं. फिल्म डाइरेक्टर जिग्नेश शाह के सहयोग से हिन्दी फिल्म में काम करने का मौका मिला.  फिल्म डाइरेक्टर अजय गुप्ता के निर्देशन में पवन सिंह के साथ "ठोंक देब" में काम करना सुखद रहा.  फिल्म डाइरेक्टर शाद कुमार के निर्देशन में मैंने " त्रिनेत्र "  "एक लैला तीन छैला "   "भइल तोहरा से प्यार और आई लव यूं में काम किया.
आप अपनी सफलता का श्रेय किसे देना चाहेंगे ?
अपने माता पिता को.  कहा गया है,  "बाढें पूत पिता के धर्मे" पुत्र का विकास उसके माता पिता के धर्म कर्म और आशिर्वाद से होता है.  पूर्वजों के पुण्य प्रताप से होता है.
 कर्म और भाग्य में आप किसे बडा मानते हैं ?
कर्म प्रधान होता है.  "कर्म प्रधान विश्व करि राखा " किन्तु भाग्य उससे भी बडा "भाग्यम् फलति सर्वदा, नहि विद्या नहि बाहुबल" ।

रंग मंच से मिली बॉलीवुड की पहचान - समर्थ चतुर्वेदी

भोपाल रंगमंच से मुंबई पहुंचे भोपाल के समर्थ चतुर्वेदी आज भोजपुरी में अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं। अब तक उन्होंने ३५ सुपरहिट भोजपुरी फिल्मों में लीड करेक्टर निभा चुकें हैं साथ ही टी वी धारावाहिक बालिका बधु, अधूरा बंधन, मुआवजा और सास बिना ससुराल जैसे धारावाहिको में कई किरदार निभा चुकें हैं। और हिंदी फिल्म "ज़िन्दगी जिलेबी" और "सी डी कांड"  अहम भूमिका निभाई हैं। उनके लिए  भोपाल रंगमंच से उठ कर भोजपुरी सिनेमा में अपनी पहचान बनाना आसान नहीं था।  इन्होने सुजीत कुमार जी की फिल्म "बलमा बड़ा नादान" से कैरियर की शुरुआत की थी। फिल्म "त्रिनेत्र" "टाइगर" बी बी न0 १ संसार और तेरी कसम  में निगेटिव किरदार को खूब सराहा गया।  इस साल का अंत तक रिलीज़ होने वाली भोजपुरी फिल्म "भईल तोहरा से प्यार आई लव यू" में दमदार करेक्टर के साथ दमदार लुक में नज़र आएंगे।
न्यूज़ -अजय सिंह   

Monday, September 7, 2015

नैतिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक परिवर्तन कर सही अर्थों में लोकतंत्र की स्थापना करना ही लोकसेना का उद्देश्य हैं -सोमेश सिंह

समाज आज विखरता जा रहा हैं हर जगह मनुष्य जानवर बनता जा रहा हैं।  इस समाज में अनेक बुराईया पैदा हो गयी हैं।  राजनीतिक अपराध का रखैल बनता जा रहा है। भ्रष्टाचार इस तरह से व्याप्त हैं कि जैसे कैंसर।  चपरासी से लेकर सचिव नेता से लेकर मंत्री तक इस रोग से पीड़ित हैं। आज के समय में मनुष्य एक दूसरे का दुश्मन बन  चूका हैं नैतिकता के नाम का कुछ बचा ही नहीं हैं।  समाज में इतनी असमानता हैं की किसी को खाने को दाना नहीं हैं तो किसी को पैसा रखने का जगह नहीं। अतः हम इस समाज को कहाँ ले जा रहें हैं।  आज के नेता जाति धर्म प्रान्त को हथियार बना कर इस्तेमाल कर रहें हैं और रातों रात स्टार बन जा रहें। अगर ऐसे समाज का परिवर्तन नहीं होगा तो सच मुच इस धरा का विनाश हो जायेगा जिसके लिए न कुदरत ना ही ईश्वर जिम्मेदार होगा।  विनाश के लिए तो इन्सान ही काफी हैं।  अतः नैतिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक परिवर्तन  बहुत जरूरी हैं।  यही लोकसेना का उद्देश्य हैं और लोक सेना प्रमुख सोमेश सिंह ने बताया की हम लोक सेना के द्वारा सभी को जोड़ के परिवर्तन जरूर लाएंगे और हमे विश्वास हैं की लोक सेना इस कार्य में सफल होगा। 

Sunday, September 6, 2015

भोजपुरी संगीतकारों में उभरता नया चेहरा संदीप कुमार

लखनऊ।  भातखंडे महाविद्यालय  से शिक्षण प्राप्त कर संदीप कुमार ने भोजपुरी संगीत में अपना एक अलग पहचान बनाया हैं।  विगत सात वर्षों से लखनऊ दूरदर्शन में अपनी प्रस्तुतियाँ दे रहें।  इसके अलावा हज़ारों स्टेज प्रोग्राम कई शहरों में कर चुकें हैं तथा साथ ही दर्जनों गानों को अपनी धुन दे चुके हैं इनकी पहली एल्बम " २०१२ के भूकम्प" थी। अभी हालिया मुलाक़ात हुई तो उन्होंने बताया की हमारी नयी कम्पोज़ की गयी एल्बम " कई देब  विधानसभा भंग राजाजी " जल्द बाजार में उपलब्ध होने वाली हैं।  

बच्चों को बेहतर शिक्षा के साथ बेहतर इंसान भी बनाये अध्यापक : शकील सिद्दीक़ी




 लखनऊ।  मदर सेवा संस्थान का चबूतरा थिएटर पाठशाला द्वारा महर्षि सुपंच सुदर्शन विद्यालय अम्बेडकर नगर लखनऊ में पुस्तक वितरण का कार्यक्रम आयोजित किया गया।  इस मौके पर महेश चन्द्र देवा ने बताया की सैकड़ों गरीब बच्चों को पुस्तक प्रदान की गयी बच्चों के साथ उनके अभिभावक भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिए। इस कार्यक्रम में "शिक्षा के उद्देश्य " पर गोष्ठी की गयी जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार शकील सिद्दकी जी ने किया इस कार्यक्रम में फिल्म निर्माता एवं समाजसेवी श्री धर्मेन्द्र मौर्य, आल इंडिया वर्कर्स काउंसिल  के राष्टीय अध्यक्ष ओ पी सिन्हा, विद्यालय प्रबंधक ननकऊ लाल हरदोई , मदर सेवा संस्थान के सचिव महेश चन्द्र देवा  नागरिक परिषद से के के शुक्ल छात्र नेता वीरेन्द्र त्रिपाठी ने अपने विचार रखें।  इस मौके पर होमेन्द्र मिश्रा, ज्योति राय, राजेश पुजारी, गोपाल,चित्रकार  अखिलेश कुमार  छायाकार दनेश पाल सिंह रंगकर्मी लक्ष्मी गुप्ता, मंजीत राज़, उप प्रधानाचार्य मुन्ना लाल वर्मा, ज्योति सुदर्शन,  मिथलेश कश्यप इत्यादि उपस्थित रहें।  

अभिलाषा संग रोमांस करते नज़र आएंगे पंकज विश्वकर्मा - भईल तोहरा से प्यार

अब तक दर्ज़नो धारावाहिक में काम करने वाले पंकज विश्वकर्मा बड़े परदे पे काम करने की तमन्ना पूरी हो गयी वो  भोजपुरी फिल्म  "भईल तोहरा से प्यार में " भोजपुरी एक्ट्रेस अभिलाषा के अपोजिट में नज़र आएंगे।  फिल्म पूरी कर ली गयी हैं।  इस फिल्म में विनय आनंद और गुंजन पन्त अभिनीत यह फिल्म शीघ्र ही दर्शकों के बीच प्रदर्शित होगी. फिल्म निर्माता – धर्मेन्द्र कुमार मौर्य की इस फिल्म का निर्देशन कर रहे हैं शाद कुमार. सहनिर्माता – असरफ अली एवं राम आशीष चैहान हैं. फिल्म के लेखक, गीतकार बबलू हैं एवं संगीतकार – राउल व पाल कानपुरी हैं. सिनेमैटोग्राफर – गौरांग शाह, नृत्य निर्देशक- राम देवन तथा ज्ञान सिंह हैं. मुख्य भूमिका में- विनय आनंद, गुंजन पन्त, राजीव दिनकर, सिमरन, आनंद मोहन, कंचन अवस्थी, पंकज विश्वकर्मा, अभिलाषा, देव मल्होत्रा, बालगोविन्द बंजारा, मेहनाज़ श्राफ, संतोष कुमार यमराज, सीमा सिंह तथा मास्टर फरइसके पहले पंकज जी  ज़ी टी वी  की नीली छतरी वाले कलर्स की मिशन सपने , और डी डी किशन की गाव की छाव में कर रहें हैं। हान व बेबी फारिया हैं

भईल तोहरा से प्यार - फर्स्ट लुक

विनय आनंद और गुंजन पन्त अभिनीत यह फिल्म शीघ्र ही दर्शकों के बीच प्रदर्शित होगी. फिल्म निर्माता – धर्मेन्द्र कुमार मौर्य की इस फिल्म का निर्देशन कर रहे हैं शाद कुमार. सहनिर्माता – असरफ अली एवं राम आशीष चैहान हैं. फिल्म के लेखक, गीतकार बबलू हैं एवं संगीतकार – राउल व पाल कानपुरी हैं. सिनेमैटोग्राफर – गौरांग शाह, नृत्य निर्देशक- राम देवन तथा ज्ञान सिंह हैं. मुख्य भूमिका में- विनय आनंद, गुंजन पन्त, राजीव दिनकर, सिमरन, आनंद मोहन, कंचन अवस्थी, पंकज विश्वकर्मा, अभिलाषा, देव मल्होत्रा, बालगोविन्द बंजारा, मेहनाज़ श्राफ, संतोष कुमार यमराज, सीमा सिंह तथा मास्टर फरहान व बेबी फारिया हैं

चंदौली में प्याज लदा पिकअप ले भागे लुटेरे

लखनऊ। नकदी, सोना जेवर, दुधारू पशु और वाहनों आदि की चोरी और लूट की बढ़ती घटनाओं के बीच महंगाई की मार ने प्याज लुटेरों को जन्म दिया है। बाजार में आसमान छू रही महंगाई के बीच लुटेरों के बीच भी प्याज की मांग बढ गई है। बाजार में अच्छी गुणवत्ता का प्याज सेब से भी महंगा बिक रहा है। बदमाशों में चंदौली जिले के सैयदराजा थाना क्षेत्र के नौबतपुर निवासी कमला पाल का प्याज लदा एक पिकअप मोहनियां पटना पथ पर कोचस के पास गुरुवार की देर रात बदमाश लूट लिया। वहीं पिकअप चालक व खलासी का हाथ-पैर रस्सी से बांधकर मारने पीटने के बाद खेतों में ही फेंक दिया। चालक टून्नू एवं खलासी संजय कमला पाल की पिकअप पर प्याज लादकर कोचस जा रहे थे। कोचस बाजार समीप कार सवार पांच-छह की संख्या में लुटेरों पिकअप को ओवरटेक कर रोक लिया। बदमाशों ने पहले चालक और खलासी की पिटाई की और हाथ-पैर रस्सी से बांध खेत में फेंक पिकअप लेकर भाग निकले। शुक्रवार की सुबह वाहन स्वामी को सूचना मिलने पर घटनास्थल पर पहुंच घायल चालक व खलासी को मोहनिया स्थित एक निजी चिकित्सालय में भर्ती कराया। पुलिस अब प्याज भरे वाहन को लूटने वाले बदमाशों को पकडने में जुट गई है।

बस्ती में भोजपुरी अभिनेता पवन के अपहरण का प्रयास

लखनऊ। बस्ती में आज भोजपुरी फिल्म के गायक तथा अभिनेता पवन सिंह के साथ लूट तथा अपहरण का प्रयास किया गया। इस घटना के बाद पवन सिंह ने गोरखपुर पहुंचकर पुलिस के साथ ही मीडिया को घटना की जानकारी दी।
भोजपुरी फिल्म अभिनेता और गायक पवन सिंह के साथ बस्ती जिले के किसी स्थान पर मारपीट के साथ लूट की घटना को अंजाम दिया गया। बदमाश पवन सिंह का मोबाइल फोन ले गये। घटना के बाद पवन सिंह लोगों की मदद से दूसरे वाहन से गोरखपुर पहुंचे। गोरखपुर में अपने मामा के जेबी सिंह के घर मोहद्दीपुर में रुके पवन सिंह ने बस्ती में फिल्म की शूटिंग के लिए वह लखनऊ एयरपोर्ट से किराए के वाहन से चले। वह बस्ती जिले की सीमा में पहुंचे थे कि अज्ञात बदमाशों ने अपनी गाड़ी सडक के बीच में खडी कर उनके वाहन को रोक लिया। बकौल पवन सिंह गाड़ी से उतरकर बदमाश उनके वाहन चालक को गाली देने लगे और उसेनीचे उतार दिया। मैने उनसे बातचीत करने की कोशिश की तो वे गाली देते हुए मेरे वाहन में आकर बैठ गए और उसे लेकर तेज गति से भगाने लगे। उन्होंने बलपूर्वक मेरा बैग और मोाबाइल फोन ले लिया। उनकी मंशा भांपकर बस्ती जिले के एक भीड़ वाले स्थान पर चलती गाडी से कूद गया। वहां शोर मचाने पर जनता जब सामने आयी तो बदमाश गाड़ी छोडकर भाग गए। गाड़ी में मेरा बैग तो मिल गया है, लेकिन मोबाइल फोन बदमाश लेते गए हैं।
पवन ने बताया कि जिस स्थान पर मैं गाड़ी से कूदा था उसका नाम मुझे याद नहीं है। वहां के लोगोंं ने मेरा परिचय जानने के बाद मुझे गाड़ी से गोरखपुर में मेरे मामा के घर तक पहुंचाया। इस घटना से मैं सदमे में हूं। यह पूछे जाने पर कि क्या आपने इसकी सूचना बस्ती या किसी भी जिले की पुलिस को दी, अभिनेता ने बताया कि घटना के बाद वह इतना डर ​​गए थे कि सीधे मामा के घर गोरखपुर चले आए। कल शूटिंग के लिए बस्ती जाएंगे और फिर पुलिस को लिखित जानकारी देकर कार्रवाई की मांग करेंगे।
घटनाक्रम की विश्वसनीयता पर सवाल किए जाने पर पवन सिंह ने कहा कि उन्हें यह नहीं मालूम हैं कि उन पर हमला क्यों किया गया तथा इसके पीछे किसका हाथ है, लेकिन इस घटना से वे डरे जरूर हैं। उन्होंने इस बात से इन्कार किया कि यह घटनाक्रम किसी भी तरह से 'पब्लिसिटी स्टंट' नहीं है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटना का प्रचार करके उन्हें क्या हासिल होगा।

एक परिषदीय विद्यालय: छह बच्चे, छह शिक्षक और सालाना खर्च 25 लाख

लखनऊ। महज छह बच्चों की पढ़ाई का सालाना खर्च लगभग 25 लाख रुपये है। एक परिषदीय विद्यालय यह खर्च कर रहा है। गाजीपुर बिरनो क्षेत्र स्थित देवकठिया के इस उच्च प्राथमिक विद्यालय में छह बच्चों को पढ़ाने के लिए छह महिला शिक्षक तैनात हैं और उनके वेतन पर सालाना 25 लाख रुपये खर्च आते हैं। यह विद्यालय बेपटरी हो चली बेसिक शिक्षा व्यवस्था को बेपर्दा करने के लिए काफी है। यह विद्यालय छह साल पहले खोला गया। जागरण टीम ने इसकी पड़ताल की। किसी दिन यहां छह से अधिक बच्चे नहीं मिले। हालांकि रजिस्टर में 26 पंजीकृत हैं। मानक के अनुसार 40 बच्चों पर एक शिक्षक होना चाहिए। चलिए मान लेते हैं, जूनियर स्कूल की तीनों कक्षाओं छह, सात व आठ के लिए एक-एक शिक्षक होने चाहिए तो भी यहां तीन से अधिक शिक्षकों की तैनाती तो नहीं ही होनी चाहिए। लेकिन, विभाग की मेहरबानी, शहर के बगल में पदस्थापना की होड़, सब चलता है। इस स्कूल के शिक्षकों के वेतनमान से एक बच्चे की पढ़ाई का सालाना खर्च निकाला जाए तो यह चार लाख रुपये से ज्यादा आता है। गाजीपुर के प्रभारी बीएसए सीताराम ओझा ने बताया कि शीघ्र ही जांच की जाएगी और अतिरिक्त शिक्षकों का स्थानांतरण कर एकल विद्यालयों पर तैनात किया जाएगा। - See more at: http://www.jagran.com/uttar-pradesh/lucknow-city-12842293.html#sthash.ch4LwyKL.dpuf

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे अभ्यर्थी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में चयनित प्रतियोगियों का नाम न उजागर करने की अदालती लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। प्रतियोगियों ने हाईकोर्ट के फैसले से असंतुष्ट होकर विशेष अनुमति याचिका दायर की है। मांग की गई है कि परीक्षाओं में सफल अभ्यर्थियों का नाम उजागर किया जाए।
पूर्व आइएएस और इलाहाबाद के मंडलायुक्त रहे बादल चटर्जी की उपस्थिति में हुई बैठक में प्रतियोगी छात्रों ने आयोग के इस फैसले को तानाशाही बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में प्रकरण ले जाने का फैसला किया। बादल चटर्जी के नेतृत्व में याची अनिल उपाध्याय व अन्य ने दिल्ली जाकर अधिवक्ता प्रशांत भूषण को मुकदमा लडऩे के लिए राजी किया। सुप्रीम कोर्ट में दो सप्ताह के भीतर इस प्रकरण पर सुनवाई के आसार हैं।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 22 अप्रैल, 2015 को एक सर्कुलर जारी कर परीक्षाओं में सफल छात्रों का नाम सार्वजनिक न करने का फैसला किया है। इसके बाद से सिर्फ रोल नंबर और रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर ही परिणाम घोषित किए जा रहे हैं। प्रतियोगी छात्रों ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि छात्र आरटीआइ के माध्यम से चयनित छात्रों के नाम जान सकते हैं। छात्रों ने आयोग में आरटीआइ तो दाखिल की लेकिन आयोग की ओर से उसका कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है। प्रतियोगी छात्रों ने आयोग पर आरोप लगाया है कि पीसीएसजे प्रारंभिक परीक्षा में कुछ खास अभ्यर्थियों को लाभ पहुंचाने के लिए ही केंद्रों में परिवर्तन किया जा रहा है। आयोग कुछ परीक्षाओं में ऐसा पहले भी कर चुका है
सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण की मांग उठी
भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा ने इस बीच बैठक में सामान्य वर्ग के गरीब बच्चों को आरक्षण देने की मांग उठाई है। 'नई दिशा, नई सोच' आंदोलन के तहत इसके लिए लड़ाई लडऩे का फैसला किया गया। मोर्चा के अध्यक्ष कौशल सिंह ने कहा कि आंदोलन के तहत जल्द ही इलाहाबाद बंद का आह्वïान भी किया जाएगा। उन्होंने कहा है कि अब समय आ गया है कि संविधान में समानता के अधिकारों पर नए सिरे से बहस शुरू की जाए।

’भईल तोहरा से प्यार – आई लव यू’ की डबिंग समाप्त

मितवा प्रोडक्शन हाउस के बैनर तले निर्माण की गई भोजपुरी फिल्म ’भईल तोहरा से प्यार – आई लव यू’ की डबिंग समाप्त कर ली गयी है. विनय आनंद और गुंजन पन्त अभिनीत यह फिल्म शीघ्र ही दर्शकों के बीच प्रदर्शित होगी. फिल्म निर्माता – धर्मेन्द्र कुमार मौर्य की इस फिल्म का निर्देशन कर रहे हैं शाद कुमार. सहनिर्माता – असरफ अली एवं राम आशीष चैहान हैं. फिल्म के लेखक, गीतकार बबलू हैं एवं संगीतकार – राउल व पाल कानपुरी हैं. सिनेमैटोग्राफर – गौरांग शाह, नृत्य निर्देशक- राम देवन तथा ज्ञान सिंह हैं. मुख्य भूमिका में- विनय आनंद, गुंजन पन्त, राजीव दिनकर, सिमरन, आनंद मोहन, कंचन अवस्थी, पंकज विश्वकर्मा, अभिलाषा, देव मल्होत्रा, बालगोविन्द बंजारा, मेहनाज़ श्राफ, संतोष कुमार यमराज, सीमा सिंह तथा मास्टर फरहान व बेबी फारिया हैं.

गुंजन पन्त मितवा थियेटर अवार्ड से सम्मानित


भोजपुरी क्वीन गुंजन पन्त हाल ही में मितवा थियेटर अवार्ड से सम्मानित की गई हैं. अब तक गुंजन पन्त को कई अवार्ड एवं सम्मान से नवाजा जा चुका है. चंचल चितवन मृग नैनी गुंजन की मोहक मुस्कान के दिवाने सभी सिनेप्रेमी हैं. जिस तरह गुंजन पन्त की अदा और अदाकारी दर्शकों बहुत ही प्रभावित करती है ठीक उसी तरह थियेटर के कार्यक्रम में उन्होंने अपने नृत्य से और करके उनका मन मोह लिया. उन्होंने दो लाइन गाते हुए कहा –
“चाँद की चकोरी से बात न होती. गर तुमसे ये हमारी बात नहीं होती.
शहर के लोगों में कोई बात है अंबर. वरना तो कभी इतनी हसीन रात ना होती.”
ये गाते ही पूरा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा. उन्होंने बताया कि लखनऊ से उनका गहरा नाता है. यहां के लोगों में कला कूट कूटकर भरी है. इसीलिए जब उन्हें इस कार्यक्रम का न्योता मिला तो उन्होंने बिना किसी शर्त ख़ुशी ख़ुशी आने की बात स्वीकारी. मितवा प्रोडक्शन हाउस द्वारा लखनऊ में गोमती नगर स्थित संत गाडगे प्रेक्षागृह में मितवा महोत्सव के तहत मितवा थियेटर अवार्ड २०१४ का आयोजन किया गया. रंगारंग कार्यक्रम के साथ उत्तर प्रदेश के नाटक से जुड़े कलाकारों एवं तकनीशियनों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से यह अवार्ड किया गया. फिल्म निर्माता धर्मेन्द्र मौर्या और उनके ग्रुप के अशरफ अली, राम आशीष चौहान और राम बाबू द्विवेदी आदि द्वारा आयोजित किया गया. मितवा प्रोडक्शन हॉउस द्वारा निर्मित की गई भोजपुरी फिल्म “भईल तोहरा से प्यार – आई लव यू” का खूब प्रमोशन किया गया. इस मौके पर नायक विनय आनंद सहित बहुत से गणमान्य जन उपस्थित थे.
अगली बार लखनऊ आने पर गुंजन पंत ने इमामबाड़ा देखने की विशेष इच्छा ज़ाहिर की.

विनय आनंद वर्ल्ड वाईल्ड विन

पॉप स्टार विनय आनंद ने अपने नये एलबम विनय आनंद वर्ल्ड वाईल्ड विन में एक बेहद सेक्सी डांस शूट करके सनसनी फैला दी है. इस पॉप स्टार के डांस परफॉरमेंस ने म्यूजिकल नाइट के दर्शकों को भौंचक्का कर दिया है. विनय आनंद इस कामयाबी पर काफी उत्साहित हैं. इस अलबम को निर्देशित किया है ज्योति आनंद ने.
जी म्युजिक द्वारा जारी इस एलबम के बारे में विनय आनंद कहते हैं – ‘मुझे अंदर से विश्वास था कि आप जो कहते हैं वह बहुत मायने रखता है. गोविन्दा जी ने जब हीरो नंबर वन टाईटल की फिल्म की तो वे हीरो नंबर वन हो गये. राजा बाबू किया तो वे लोगो के दिलों पर राज करने लगे. टाईटल का प्रभाव हमेशा इंसान पर पड़ता है. अमिताभ बच्चन जी ने शहंशाह किया. मेरे बड़े मामा हमेशा कहते थे कि विनय टाईटल का हमेशा प्रभाव पड़ता है और आज यह बात मेरे पहले म्युजिक विडियो विनय आनंद वर्ल्ड वाईड ने साफ कर दिया. आज मेरे पास दुुनिया के कोने कोने से फोन आते हैं और लोग इस म्युजिक विडियो की तारीफ करते हैं. मैं इस एलबम का एक पाजिटिव नाम रखना चाहता था जो दुनिया जीते और इसीलिये मैने अपने पहले म्युजिक विडियो का नाम रखा विनय आनंद वर्ल्ड वाईड विन.’
इस एलबम में पॉप गायक विनय आनंद ने गजब के ना सिर्फ गीत गाये हैं बल्की परफार्मेश भी कमाल का किया है. भोजपुरी में सत्तर से ज्यादा फिल्में करने वाले भोजपुरी सुपर स्टार विनय आनंद का पूरा ध्यान इस समय इस अलबम की कामयाबी पर टिका है. इस अलबम की निर्देशक ज्योति आनंद की तारीफ करते हुये वे कहते हैं ज्योति ने प्रभूदेवा जी को आर .राजकुमार में असिस्ट किया. उनका जो अनुभव रहा उसका काफी बेहतर नतीजा रहा.
भोजपुरी में सौ से ज्यादा डांस कोरियोग्राफ कर चुकी ज्योति ने इस अलबम के लिये काफी मेहनत किया. इस अलबम में इंटरनेशनल स्टैंडर्ड के हिसाब से इसका प्रजेंटेशन किया और जी म्युजिक ने इसको हाथो हाथ ले लिया. जी म्युजिक वाले भी विनय आनंद की काफी तारीफ करते हैं. विनय आनंद कहते हैं काफी अच्छा फीड बैक मिल रहा है.
विनय कहते हैं कि, ‘मैं आज भी भोजपुरी लोगो से जुड़ा हूं और भाषा मेरे लिये कोई मायने नहीं रखती. बॉलीवुड से भी कई अच्छे आफर आ रहे हैं. मैं भोजपुरी में भी अच्छी फिल्में और टेलीविजन के लिये भी कुछ नया करना चाहता हूं.
कंपटीशन के बारे में विनय आनन्द नहीं मानते कि वे जबरदस्ती कोई काम नहीं करते. आज उनका बैनर फ्लाईंग हार्स ओपेन हो चुका है और जल्द ही इस बैनर पर बॉलीवुड की फिल्में भी बनेंगी. विनय कहते हैं कि आज सब्जेक्ट चलता है और उन्हें अपने पर पूरा भरोसा है.
विनय कहते हैं कि वे क्लासिकल फैमिली से हैं और उनके उपर जिम्मेदारी है कि जो भी करुं अच्छा करुं. वरना यहां टिकना बड़ा मुश्किल है. पसीने निकल जाते हैें.
भोजपुरी सिनेमा के बारे में विनय आनंद कहते हैं कि अच्छी भोजपूरी फिल्मो का बनना बहुत जरुरी है. विनय आनंद कहते हैं कि वे भोजपुरी में हर ग्रूप मे खप जाते हैं और इसीलिये लोग उनको प्यार देते हैं.
फिलहाल विनय आनंद काफी उत्साह में हैं अपने पहले एलबम विनय आनंद वर्ल्ड वाईल्ड विन को लेकर.

भोजपुरी संस्कृति के लिहाज़ से "भईल तोहरा से प्यार" अब तक की सबसे बेहतरीन मूवी : गुंजन पंत

भोजपुरी संस्कृति के लिहाज़ से "भईल तोहरा से प्यार"  अब तक की सबसे बेहतरीन मूवी : गुंजन पंत

मितवा प्रोडक्शन हाउस बैनर तले बनाने वाली फिल्म "भईल तोहरा से प्यार आई लव यू  नए संकरण में सबसे बेहतर मूवी हैं ये हम नहीं भोजपुरी एक्ट्रेस गुंजन पंत जी कह रहीं हैं।  साथ उन्होंने कहा की हम और हमारी पूरी टीम ने बहुत परिश्रम किये हैं और बहुत हैं अच्छी मूवी बनी हैं।  जिसके निर्माता धर्मेन्द्र मौर्य हैं तथा निर्देशक शाद कुमार हैं सह -निर्माता - राम आशीष चौहान एवं असरफ अली हैं। इसमे संगीत-पाल कानपुरी एवं मंगेश लेखक एवं गीतकार -बब्लू हैं  ।  कलाकार - गुंजन पंत , विनय आनंद , राजीव दिनकर सिमरन कौर पंकज , अभिलाषा, देव मल्होत्रा, श्रावणी गोस्वामी, समर्थ चतुर्वेदी , सीमा सिंह , मेहनाज़ श्राफ, इत्यादि।
https://www.facebook.com/pages/Bhail-Tohara-Se-Pyar-I-Love-You/1376427032591353

Monday, June 8, 2015

सी ग्रेड की सिनेमा हाल और सी ग्रेड की फिल्मे मिटा रहीं हैं भोजपुरी संस्कृति।


सी ग्रेड की सिनेमा हाल और सी ग्रेड की फिल्मे मिटा रहीं हैं भोजपुरी संस्कृति।

कई देशों में बोली जाने वाली भोजपुरी आज उसी भोजपुरी भाषा में बनने फिल्मों का स्तर इतना नीचे गिर चूका हैं की अपनी लागत निकालना मुस्किल हो गया हैं।  भोजपुरी सिनेमा के निर्माता निर्देशक और वितरक सी ग्रेड की फ़िल्में परोस केर कहते हैं की भोजपुरी में ऐसे ही चलता हैं अगर ऐसे ही चलता हैं तो क्यों भोजपुरी सिनेमा करोड़ों  की कमाई नहीं कराती हैं।  अरे कुछ तो शर्म कीजिये मुट्ठी भर मराठी दर्शक होने के बावजूद मराठी फ़िल्में करोड़ों की कमाई करती हैं।  और आप स्तर हीन फ़िल्में बना कर हिंदी फिल्मों से तुलना करते हो।
भोजपुरी इंडस्ट्री में नामी हीरो को छोड़ के सभी मारे मारे फिर रहें जो सबसे गया गुजरा हैं वो हैं निर्माता।  आज भोजपुरी सिनेमा में निर्माता को बकरे की तरह हलाल किया जा रहा हैं। आज भोजपुरी इंडस्ट्री के निर्देशक वितरक और अभिनेत्री अभिनेताओं का हाल कालिदास जैसा हैं।  वो जिस डाल पे बैठें हैं उसी डाल को काट रहें हैं आब वो दिन दूर नहीं जब भोजपुरी सिनेमा का नामों निशाँ मिट जायेगा।  हम सभी से यही आशा करते हैं की भोजपुरी सिनेमा से जुड़े लोग इस पर ध्यान देगें।  साथ ही ये कहना चाहते हैं की अच्छी फ़िल्में बनाये तभी अच्छे थिएटर में रिलीज़ कर सकते हैं अच्छे थिएटर में रिलीज़ होने का मतलब अच्छी कमाई।
                                                                                            धर्मेन्द्र मौर्य ( मितवा परिवार)


Saturday, June 6, 2015

खुद बच्ची हो कर भी १३ अनाथ बच्चों को जिम्मेदारी उठा रही हैं सृष्टि।








खुद बच्ची हो कर भी १३ अनाथ बच्चों को जिम्मेदारी उठा रही हैं सृष्टि। 
जी हम लखनऊ की  सृष्टि अरोरा मासूम सी बच्ची की  बात कर रहें हैं।  खुद  बच्ची हो कर भी १३ अनाथ बच्चों की जिम्मेदारी लेकर यह बता दिया की इंसान का इंसानियत से बढ़कर कोई मज़हब नहीं होता हैं और इंसानियत के  या परोपकार के लिए उम्र का कोई बंधन नहीं होता हैं।  जहाँ आज के युग में खुद का खर्च चलाना मुस्किल हैं वहीँ ये बच्ची अनाथ बच्चों को गोद लिया हैं।  आपको बताते चलते हैं की ये बच्ची  स्टेज क्लासिकल  डांस परफॉर्मर हैं अभी tak सैकड़ों स्टेज परफॉर्म कर चुकी हैं साथ ही कई पुरस्कारों से नवाज़ी  जा चुकी हैं।  

भईल तोहरा से प्यार में अभिलाषा


भईल तोहरा से प्यार में अभिलाषा 
मितवा प्रोडक्शन हाउस द्वारा निर्मित भोजपुरी फिल्म भईल तोहरा से प्यार  आई लव यू नए अंदाज़ में नज़र आ रहीं हैं अभिलाषा उनसे बात-चीत का कुछ अंश -
सवाल - मितवा प्रोडक्शन हाउस द्वारा निर्मित भोजपुरी फिल्म भईल तोहरा से प्यार  आई लव यू आप की क्या भूमिका हैं। 
जबाब - इस फिल्म में मैं मुख्य नायिका की सहेली का रोल प्ले किया हूँ 
जबरदस्त किरदार हैं और इसे करके मज़ा आ गया।  
सवाल - इस फिल्म के निर्माता निर्देशक के बारे में क्या कहेंगी ?
जवाब - निर्देशक शाद जी से पारिवारिक रिस्ता हैं तथा साथ ही बहुत अच्छे से और बड़े ही इत्मीनान से काम करते हैं।  इनके साथ काम करने से बहुत कुछ सीखने को मिलता हैं। तथा  इस फिल्म के निर्माता धर्मेन्द्र मौर्या जी हैं साथ ही वो इस फिल्म के लेखक एवं गीतकार भी हैं। उनके साथ काम करके बड़ा अच्छा लगा।  
सवाल - दर्शकों से क्या कहना चाहेंगी ?
जबाब - आईये ये फिल्म देखिये और देखने के बात बताये की ये  फिल्म कैसी लगी आपको और हम लोग कितना सफल हुए हैं। 

Friday, June 5, 2015

मशहूर फिल्म एडिटर कहा "भईल तोहरा से प्यार आईं लव यू "



मशहूर फिल्म एडिटर कहा  "भईल तोहरा से प्यार आईं लव यू "
हिंदी फिल्म कोयला, कहो ना प्यार हैं, कोई मिल गया, तेरे नाम जैसे दर्जनो फिल्म्स के एसोसिएट एडिटर रह चुके गोविन्द दुबे भोजपुरी फिल्म "भईल तोहरा से प्यार आईं लव यू " से अभिनय की पारी सुरुआत की।
(Hindi Films)



(AS AN ASSOCIATE EDITOR)

Name of the Film:-

Nirnayak
Ek Phool Teen Kante
Kaun Sachha Kaun Jhutha
Jeevan Yudh
Koyala
Kachche Dhaage
Lohpurush
Jab Pyaar Kisi se hota hai
Kaho Na Pyaar Hai
Karobaar
Tapish – the burning
Love Story Deewano ka
Dial 100
Boond
Ek Aur Jung
Har Dil Jo Pyar Karega
Border Hindustan Ki
Roshani
Chori Chori
Big Brother
2nd October
Mujhe Kuchh Kehna Hai
Bade Dilwala
Mast
Jungle
Rehna Hai Tere Dil Mein
Badhai Ho Badhai
Jeena Sirf Mere Liye
Koi Mil Gaya
Tere Naam
Jaal – The Trap
Dil Bhi Kya Cheez Hai
Albela
Deewanpan
Om Jai Jagdish
Hawas
Girl Friend
Eight
Sautan
Taj Mahal
Mastana
Run
Kahin aag na Lag Jaaye
Shikaar
Gumnaam
Mohabbat ho gayi tumse
Milenge Milenge
Ashiqui -
Bombay
Shaadi Se Pehle
Umar
Ekrar By Chance
Rab ne banayee jodi (Pun.)
Bhoothnath
Mittal V/s Mittal
Bhatti on Chutti
Mera Bachpan
Idiot box
Ek Second jo Zindagi Badal de
Kal Kisne Dekha
Agaah
Simran (Punjabi)
Nischay Kar Apni Jeet par

(AS AN INDEPENDENT EDITOR – REGIONAL FILM)

Nirantaram (Telugu)
Pihar Ki Chunari (Haryanvi
England Da Nazare (Pun)
Mr. Tangewala (Bhojpuri)

Mare Karejwa Mein Teer (Bhojpuri Film)
Bihari Mafiya (Bhojpuri)
Munni Bai Nautankiwali (Bhojpuri)
Brijawa (Bhojpuri)
Satyemev Jayate (Bhoj)
Khela (Bhojpuri)
Yadav Pan Bhandar (Bhoj)
Mard Tangewala (Bhoj)
Naukar Mehariya Ke (Bhoj)
Rangbaaz (Bhoj)
Kehu Gum Se Jeet Na Pai (Bhoj)
Elaan (Bhoj)
Elaan-e-Jung (Bhoj)
Hamre Nawe Zila Hile (Bhoj)
Ganga Putra (Bhoj)
Trinetra (Bhoj)
Kasoor (Bhoj)
Khuddar (Bhoj)
Dil Dost Ne Dushmani ( Ghujrati )
Pagal Premi (Bhoj)
Dil ta Paagal Hola ( Bhojpuri Film Directed By Fahim A khan )
kaaliya ( Bhojpuri )
Rakhela shaan bhojpuriya jawan (Bhoj)
MANGAL PHERA (Bhoj)
IZAAT (Bhoj)
PRATIGHAT (Bhoj)
BHAILTOHRA SE PYAR(Bhoj)
CHARNO KI SUGANDH(Bhoj)
LADAI(Bhoj)
ZANJEER(Bhoj)
SHOLA SHABNAM(BHOJPURI)
EK LAILA TEEN CHHAILA
BITIYA SADA SUHAGAN RAHA
REAL INDIAN MOTHOR
HATHAKADI
INTEKAM
TERI MERI AASIQI
RANI DILBAR JANI
BALAMUA TOHRE KHATIR

(AS AN INDEPENDENT EDITOR – HINDI FILM)
Sanam Tere Pyaar Mein
Royal Utsav
Rooh
Pyar Ka Phanda
Blind People (Hindi)
chadh di kala punjab di ( punjabi)
phanda apna apna(hindi)
EKKA TOP
AUSHAM MUSHAM
EXTRA ODINARI NARY
AMEER SALMAN SHARUKH
https://www.facebook.com/govind.dubey.560/about?section=bio&pnref=about 

निर्माता धर्मेन्द्र मौर्या ले कर आ रहें हैं " भईल तोहरा से प्यार आइ लव यू ".

निर्माता धर्मेन्द्र मौर्या ले कर आ रहें हैं " भईल तोहरा से प्यार आइ लव यू ". 
उनसे बातचीत का कुछ अंश :
आप के फ़िल्म में क्या ऐसी विषय हैं जो कि दर्शको को पसंद आएगी ?
सबसे पहले सभी दर्शको का हमारा प्रणाम।  जहाँ तक रही पसंद आने वाली विषय , प्यार इक ऐसी विषय हैं जिसे कभी  नापसंद किया ही नहीं जा सकता।   
इस फ़िल्म में और फिल्मो से अलग हट के बात करें तो क्या हैं ?
देखिये आज जो भोजपुरी फिल्मो को लेकर बातें होती है जैसे कि भोजपुरी फिल्मों में अशलीलता चलती हैं , इसे रिक्शेवाले देखते हैं।  हम उन फ़िल्म निर्माताओं निर्देशकों और फ़िल्म वितरकों से पूछना चाहते हैं कि क्या रिक्शेवाले इंसान नहीं होते हैं या उनका परिवार नहीं होता हैं या वे हमेशा नंगे घूमते हैं। अरे नहीं , कोई भाषा अशलील नहीं होती हैं भले कुछ लोग उसे गलत तरीके से पेश करें।  जहाँ तक अलग की बात करें तो हर भोजपुरी भाषा  को प्यार करने वाले लोगों के भावनाओं को ध्यान में रख कर यह फ़िल्म बनाई हैं इसलिए यह और फिल्मों से अलग हैं। और हमें उम्मीद हैं कि ये लोगों को खूब पसंद आएगी।   
फ़िल्म समाज का आईना होता हैं तो इस आईने के माध्यम से आप समाज  को क्या आईना दिखा रहें हैं ? 
फ़िल्म साहित्य के अंतर्गत आता हैं और साहित्य समाज का दर्पण होता हैं।  पर हम समाज को आईना दिखाने वाले कौन होते हैं क्योंकि यहाँ समाज का हर तबका चाहे वो गरीब हो या अमीर हो सब पढ़े -लिखे हैं और सब अपना भला -बुरा जानते हैं।  हांलाकि हम इस फ़िल्म कि माध्यम से जो आज के भागम -दौड़ ज़िन्दगी और पैसे के चक्कर में लोग प्यार के महत्व को भूलते जा रहें हैं।  उसी को दिखाया गया हैं कि आप के जीवन में प्यार का क्या महत्व हैं।    
चलते-चलते क्या कहना चाहेंगे ?
हम सभी लोगों से जो भोजपुरी जानते हैं समझते हैं और भोजपुरी भाषा से प्यार करते हैं चाहे वो आई  ऐ यस हो या पी सी यस हो या व्यापारी हो या मजदूर वर्ग हो।  यह फ़िल्म आप लोगों के लिए बनाई हैं और आप सब इसे पुरे परिवार के साथ देखें और हमें सूचित जरूर करें कि आप को यह फ़िल्म कैसी लगी। धन्यवाद।  

Thursday, June 4, 2015

सामाजिक एवं पारिवारिक रिश्तों की चढाव उतार हैं भईल तोहरा से प्यार



जाने कहाँ खो गए हम अपनी ज़िन्दगी में उलझकर 
भूल गए क्या हम इंसान ही तो हैं इस जहाँ पर 
क्यों ज़हर घोल रहें और हमें किस बात का हैं गरूर 
आखिर मिट जाना हैं हमें भी एक दिन इसी धरा पर

यू ट्यूब पर देखे भोजपुरी सिनेमा की निगेटिव फार्मेट की लॉस्ट फिल्म मेकिंग