Tuesday, September 22, 2015

शायरी के लफ्ज़ ऐसे होने चाहिए कि जो दिल में सरगम बज उठें - अजमेर अंसारी"कशिश"

१- 
मेरे   हसीन   चेहरे   की   ताबीर आप हैं !
शीशे में है जो दिल के वो तस्वीर आप हैं !

एक-एक  शेर आपकी  तारीफ़  है सनम !

जो है किताबे-दिल पे वो तहरीर आप है !

जादू चला के प्यार का बेबस किया मुझे !

बांधा है जिसने मुझको वो जंज़ीर आप है !

तारीकियों   में  डूबी   हमारी  हयात को !

रौशन किया है जिसने वो तनवीर आप हैं !

मरने  के  बाद  याद   करेगा  हमें  जहां !

रांझा  अगरचे  मैं हूँ  सनम  हीर आप हैं !

नज़रें मिला के आप से महसूस ये हुआ !

उतरे जो दिल के पास वही तीर आप हैं !

पढ़ने के बाद आपको सोचा किया"कशिश"

ग़ालिब तो मैं नहीं हूँ  मगर हीर आप हैं !

  २-

    


मैं  तेरे  इश्क़  में  मुब्तिला  भी नहीं !

और दिल है के तुझसे ज़ुदा भी नहीं !

दिल से दिल मिल गये हैं मेरे-आपके !

दरमियाँ अब कोई  फासला भी नहीं !

ये अदा  ख़ूब है  तोड़ कर  दिल मेरा !

कह रहा  है सनम  बे-वफ़ा  भी नहीं !

तेरी  यादें  भुलाने  को  पी  लेते हम !

इस शहर में कोई  मयक़दा भी नहीं !

चैन  कैसे  मिले  वक़्त  की भीड़ में !

तेरी ज़ुल्फ़ों की  ठंडी  हवा भी नहीं !

सबसे महफ़िल में हंस-हंस के मिलता है वो !

मेरी ज़ानिब  कभी  देखता  भी नहीं !

उसको   इमदाद   लेने   से  इन्कार  है !

जिसका कोई"कशिश"आसरा भी नहीं !

            अजमेर अंसारी"कशिश"

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