१-
मेरे हसीन चेहरे की ताबीर आप हैं !
शीशे में है जो दिल के वो तस्वीर आप हैं !
एक-एक शेर आपकी तारीफ़ है सनम !
जो है किताबे-दिल पे वो तहरीर आप है !
जादू चला के प्यार का बेबस किया मुझे !
बांधा है जिसने मुझको वो जंज़ीर आप है !
तारीकियों में डूबी हमारी हयात को !
रौशन किया है जिसने वो तनवीर आप हैं !
मरने के बाद याद करेगा हमें जहां !
रांझा अगरचे मैं हूँ सनम हीर आप हैं !
नज़रें मिला के आप से महसूस ये हुआ !
उतरे जो दिल के पास वही तीर आप हैं !
पढ़ने के बाद आपको सोचा किया"कशिश"
ग़ालिब तो मैं नहीं हूँ मगर हीर आप हैं !
२-
मैं तेरे इश्क़ में मुब्तिला भी नहीं !
और दिल है के तुझसे ज़ुदा भी नहीं !
दिल से दिल मिल गये हैं मेरे-आपके !
दरमियाँ अब कोई फासला भी नहीं !
ये अदा ख़ूब है तोड़ कर दिल मेरा !
कह रहा है सनम बे-वफ़ा भी नहीं !
तेरी यादें भुलाने को पी लेते हम !
इस शहर में कोई मयक़दा भी नहीं !
चैन कैसे मिले वक़्त की भीड़ में !
तेरी ज़ुल्फ़ों की ठंडी हवा भी नहीं !
सबसे महफ़िल में हंस-हंस के मिलता है वो !
मेरी ज़ानिब कभी देखता भी नहीं !
उसको इमदाद लेने से इन्कार है !
जिसका कोई"कशिश"आसरा भी नहीं !
अजमेर अंसारी"कशिश"
मेरे हसीन चेहरे की ताबीर आप हैं !
शीशे में है जो दिल के वो तस्वीर आप हैं !
एक-एक शेर आपकी तारीफ़ है सनम !
जो है किताबे-दिल पे वो तहरीर आप है !
जादू चला के प्यार का बेबस किया मुझे !
बांधा है जिसने मुझको वो जंज़ीर आप है !
तारीकियों में डूबी हमारी हयात को !
रौशन किया है जिसने वो तनवीर आप हैं !
मरने के बाद याद करेगा हमें जहां !
रांझा अगरचे मैं हूँ सनम हीर आप हैं !
नज़रें मिला के आप से महसूस ये हुआ !
उतरे जो दिल के पास वही तीर आप हैं !
पढ़ने के बाद आपको सोचा किया"कशिश"
ग़ालिब तो मैं नहीं हूँ मगर हीर आप हैं !
२-
मैं तेरे इश्क़ में मुब्तिला भी नहीं !
और दिल है के तुझसे ज़ुदा भी नहीं !
दिल से दिल मिल गये हैं मेरे-आपके !
दरमियाँ अब कोई फासला भी नहीं !
ये अदा ख़ूब है तोड़ कर दिल मेरा !
कह रहा है सनम बे-वफ़ा भी नहीं !
तेरी यादें भुलाने को पी लेते हम !
इस शहर में कोई मयक़दा भी नहीं !
चैन कैसे मिले वक़्त की भीड़ में !
तेरी ज़ुल्फ़ों की ठंडी हवा भी नहीं !
सबसे महफ़िल में हंस-हंस के मिलता है वो !
मेरी ज़ानिब कभी देखता भी नहीं !
उसको इमदाद लेने से इन्कार है !
जिसका कोई"कशिश"आसरा भी नहीं !
अजमेर अंसारी"कशिश"

No comments:
Post a Comment