Sunday, September 6, 2015

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे अभ्यर्थी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में चयनित प्रतियोगियों का नाम न उजागर करने की अदालती लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। प्रतियोगियों ने हाईकोर्ट के फैसले से असंतुष्ट होकर विशेष अनुमति याचिका दायर की है। मांग की गई है कि परीक्षाओं में सफल अभ्यर्थियों का नाम उजागर किया जाए।
पूर्व आइएएस और इलाहाबाद के मंडलायुक्त रहे बादल चटर्जी की उपस्थिति में हुई बैठक में प्रतियोगी छात्रों ने आयोग के इस फैसले को तानाशाही बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में प्रकरण ले जाने का फैसला किया। बादल चटर्जी के नेतृत्व में याची अनिल उपाध्याय व अन्य ने दिल्ली जाकर अधिवक्ता प्रशांत भूषण को मुकदमा लडऩे के लिए राजी किया। सुप्रीम कोर्ट में दो सप्ताह के भीतर इस प्रकरण पर सुनवाई के आसार हैं।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 22 अप्रैल, 2015 को एक सर्कुलर जारी कर परीक्षाओं में सफल छात्रों का नाम सार्वजनिक न करने का फैसला किया है। इसके बाद से सिर्फ रोल नंबर और रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर ही परिणाम घोषित किए जा रहे हैं। प्रतियोगी छात्रों ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि छात्र आरटीआइ के माध्यम से चयनित छात्रों के नाम जान सकते हैं। छात्रों ने आयोग में आरटीआइ तो दाखिल की लेकिन आयोग की ओर से उसका कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है। प्रतियोगी छात्रों ने आयोग पर आरोप लगाया है कि पीसीएसजे प्रारंभिक परीक्षा में कुछ खास अभ्यर्थियों को लाभ पहुंचाने के लिए ही केंद्रों में परिवर्तन किया जा रहा है। आयोग कुछ परीक्षाओं में ऐसा पहले भी कर चुका है
सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण की मांग उठी
भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा ने इस बीच बैठक में सामान्य वर्ग के गरीब बच्चों को आरक्षण देने की मांग उठाई है। 'नई दिशा, नई सोच' आंदोलन के तहत इसके लिए लड़ाई लडऩे का फैसला किया गया। मोर्चा के अध्यक्ष कौशल सिंह ने कहा कि आंदोलन के तहत जल्द ही इलाहाबाद बंद का आह्वïान भी किया जाएगा। उन्होंने कहा है कि अब समय आ गया है कि संविधान में समानता के अधिकारों पर नए सिरे से बहस शुरू की जाए।

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