
सी ग्रेड की सिनेमा हाल और सी ग्रेड की फिल्मे मिटा रहीं हैं भोजपुरी संस्कृति।
कई देशों में बोली जाने वाली भोजपुरी आज उसी भोजपुरी भाषा में बनने फिल्मों का स्तर इतना नीचे गिर चूका हैं की अपनी लागत निकालना मुस्किल हो गया हैं। भोजपुरी सिनेमा के निर्माता निर्देशक और वितरक सी ग्रेड की फ़िल्में परोस केर कहते हैं की भोजपुरी में ऐसे ही चलता हैं अगर ऐसे ही चलता हैं तो क्यों भोजपुरी सिनेमा करोड़ों की कमाई नहीं कराती हैं। अरे कुछ तो शर्म कीजिये मुट्ठी भर मराठी दर्शक होने के बावजूद मराठी फ़िल्में करोड़ों की कमाई करती हैं। और आप स्तर हीन फ़िल्में बना कर हिंदी फिल्मों से तुलना करते हो।
भोजपुरी इंडस्ट्री में नामी हीरो को छोड़ के सभी मारे मारे फिर रहें जो सबसे गया गुजरा हैं वो हैं निर्माता। आज भोजपुरी सिनेमा में निर्माता को बकरे की तरह हलाल किया जा रहा हैं। आज भोजपुरी इंडस्ट्री के निर्देशक वितरक और अभिनेत्री अभिनेताओं का हाल कालिदास जैसा हैं। वो जिस डाल पे बैठें हैं उसी डाल को काट रहें हैं आब वो दिन दूर नहीं जब भोजपुरी सिनेमा का नामों निशाँ मिट जायेगा। हम सभी से यही आशा करते हैं की भोजपुरी सिनेमा से जुड़े लोग इस पर ध्यान देगें। साथ ही ये कहना चाहते हैं की अच्छी फ़िल्में बनाये तभी अच्छे थिएटर में रिलीज़ कर सकते हैं अच्छे थिएटर में रिलीज़ होने का मतलब अच्छी कमाई।
धर्मेन्द्र मौर्य ( मितवा परिवार)

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