नमस्कार बंधुवर। ..
इंसान बनने के लिए ना हिन्दू ना मुस्लिम ना सिक्ख ना ही ईसाई या ना किसी धर्म जाति की आवश्यकता होती हैं जो परम शक्ति हैं जो इस संसार को चला रहीं हैं अभी उस तक कोई पहुंच नहीं पाया हैं। सभी अपने अपने रूप पूजते हैं इस लिए कोई धर्म किसी के ऊपर थोपा नहीं जा सकता हैं। जहाँ तक हमें लगता हैं कि जाति धर्म एक एक इंसान अलग नामों से पुकारा जा सके यानि कोई भी हमें अध्यन कर सकें। जाति धर्म का सदुपयोग ना कर के दुरूपयोग किया जा रहा हैं। नेता और धर्म के ठेकेदार अपनी प्रभुता अपनी ताकत समाज के ऊपर सिद्ध करने के लिए जाति धर्म को हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं। आज की स्थिति देखिये तो लगता हैं कि वो केवल अपनी फायदा देखते हैं उन्हें किसी के जान माल से कोई मतलब नहीं। हम लोग देखते आ रहें हैं की ये लोग कभी प्रांतवाद पर , कभी धर्म के नाम पर , कभी जातिवाद पर हमें लड़ते आ रहें हैं , और हम अंधे भेड़ की तरह उन्ही के पीछे लगे हुए हैं। आखिर कब हमें होश आएगा। बरसों हम लोग अलग अलग जाति धर्म के लोग एक साथ रहते हैं और एक दूसरे के सुख दुःख में सम्लित होते हैं पर अचानक कहीं नेता या धर्म के ठेकेदार के बातों में आ कर अपनों में दुश्मनी पैदा कर लेते हैं पर ये नहीं सोचते की अगर हम बीमार पड़ेंगें तो नेता या धर्म के ठेकेदार नहीं आएंगे मदद करने के लिए। आस पास के लोग ही काम आयेंगें। इसलिए हमें नेताओं और धर्म के ठेकेदारों का बहिस्कार करना चाहिए तभी समाज में खुशहाली फैलेगी।
धर्मेन्द्र मौर्य
मितवा परिवार



















