Sunday, February 28, 2016

मेरी जिंदगी का हर पल खुशनुमा रहा है क्यों की मैं हर पल कुछ न कुछ सीखने की चाह रखती हु और भोजपुरी गानो को एक अच्छी छवि की ओर लेजाना चाहती हूँ : लोकगायिका संजोली पाण्डेय


अवधि और भोजपुरी जगत् कि उभरती हुई कलाकार संजोली पाण्डेय जिनकी आवाज़ एक नई पहचान बन चुकी हैं इस क्षेत्र में उनसे एक खाश बात चीत

1:- गायकी कि ओर ये रुझान कब और कैसे आया आपको ?
  :- मेरी माँ बताती है कि मैंने जब बोलना शुरू किया तभी से मैंने गाना भी शुरू किया मम्मी बताती हैं की मैं रोती भी थी तो सुर में रोती थी और प्रोफेसनली तरीके से मैंने संगीत का सफ़र दसवी कक्षा से अपने परिवार अध्यापकों और दोस्तों के सपोर्ट से सुरु किया और उन सभी ने कहा की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लो और आगे बढ़ो फिर मैंने हिस्सा लेना सुरु किया बहुत सारे पुरस्कार भी जीते तो हौसला बढ़ता गया और बचपन से लोकगीतों को सुनती थी और सोचती थी की ऐसा क्या हैं इनमें जो मैं नहीं गा सकती फिर मैंने अपनी माँ से उसे सीखा और फिर इस क्षेत्र में अपना कदम आगे बढ़ाया |
 2:- गाने की ये कला इसकी शिक्षा-दीक्षा कहा से ली आपने ?
  :- मेरी पहली गुरु मेरी माँ है लोकगीतों की शिक्षा मुझे माँ से मिली एक अच्छी सिंगर बनने के लिए शास्त्रीय संगीत सीखना बहुत जरुरी हैं तो मैंने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा भातखण्डे संगीत संस्थान जो की लखनऊ में हैं वहा से शास्त्रीय संगीत सीखा आज भी संगीत की शिक्षा मेरी गुरु माँ श्रीमती सीमा भारद्वाज जी से ले रही हु |
3:- जब कभी आप परफॉर्म करने जाती हैं तो क्या मेहसूस करती हैं क्या सोचती हैं आप ?
  :- बहुत सारे इवेंट्स हो रहे हैं आज कल तो मंच पर जाने से पहले मैं यही सोचती हूँ कि अपने लोक गीतों को अपनी लोक विधाओं को जन जन तक पहुचाना है और किसी भी मामले में अपनी संस्कृति अपनी परम्परा कमजोर ना पड़े इसके बारे में सोचती हु |
4:- आपके जीवन में अब तक का सबसे खुशनुमा पल कौन सा रहा ?
  :- वैसे तो मेरी जिंदगी का हर पल खुशनुमा रहा है क्यों की मैं हर पल कुछ न कुछ सिखने की चाह रखती हु और हर पल को ख़ुशी से जीती हूँ । हाँ ये होता है की कोई एक पल बहुत यादगार होता है मेरा यादगार पल वो था जब मुझे मंच पर अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए बुलाया गया और पहली बार मेरे नाम के आगे लोकगायिका शब्द जुड़ा |
 5:- जब कभी आपको खाली समय मिलता हैं तो आप कहा रेहना या जाना पसंद करती हैं और क्यों ?
  :- जब भी मुझे खाली समय मिलता है मैं रियाज़ करती हूँ और इसके बाद भी अगर समय मिलता है तो मुझे कुकिंग का बहुत शौक है और खाने की भी बहुत शौकीन हूँ तो खाना बनाना और लोगो को खिलाना पसंद करती हूँ  |
 6:- आगे की क्या प्लानिंग्स हैं आपकी, फ्यूचर में और क्या करना चाहती हैं आप ?
  :- आगे की प्लानिंग ये है की भोजपुरी गानो को एक अच्छी छवि की ओर लेजाना साथ ही भोजपुरी गानो और अपने लोक गीतों को घर घर तक पंहुचा पाऊ साथ ही लोकगीतों के कुछ ऐसे एलबम्स निकालू जो घर घर में बजाए जाए और लोग उसे सुनना पसन्द करे |
7:- आप इस देश की युथ का एक हिस्सा हैं और आपने एक अच्छा मुकाम हासिल किया हैं इस उम्र में तो क्या सन्देश देना चाहेंगी आप आज के इस युथ को ?
:- इस देश की युवा को मैं यही बोलना चाहूंगी कि आप मॉडर्न बनिए पाश्चात् सभ्यता को अपनाइये लेकिन अपनी संस्कृति और सभ्यता को मत भूलिए अपने माता पिता का सम्मान करिये और उनका नाम रौशन कीजिए |

हमें मत जगाओ हम सो रहें हैं


लड़ लो भाई कभी जाति के नाम पर कभी धर्म के नाम पर कभी प्रान्त के नाम पर कभी भाषा पर  फिर कभी मौका नहीं मिलेगा, खुद तो हम सोचते नहीं और ऊपर से नेताओ का मेहरबानी हैं , आज के समय कोई ऐसी पार्टी नहीं हैं जो दूध की धुली हो, हर पार्टी अपने गुंडे पाल रक्खी हैं हमे हर तरीके से बरगलाने के लिए और तोड़ फोड़ करने के लिए सरकारी कोई ऐसा काम नहीं हैं या टेंडर नहीं हैं जिसमे मंत्री विधायक या  सांसद  घोटाला न करता हो।  हमें कब होश आएगा जब सांसदों का या विधायकों का वेतन बढ़ाना होता हैं तो वो बिल तुरंत पास होता हैं और सारे  पक्ष बिपक्ष एक हो जाते हैं , और हर मुद्दे पर हमे लड़ते हैं फिर भी हम उनके बहकावे में आ जाते हैं हम लोगों को ये पता हैं की ये जो बिना मतलब के दस दस गाड़ियों से सफर करते हैं और जो मौज मस्ती करते हैं वो हमारे कठिन परिश्रम का पैसा होता हैं।  हमारी रोटी छीन  के ये नेता हमी को आखँ दिखाते  है. फिर भी हमारी आखें बंद हैं हम सो रहें हैं।